Quantcast
Channel: hindimeaning.com
Viewing all articles
Browse latest Browse all 910

राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध-National Flag In Hindi

$
0
0

राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध (National Flag In Hindi) :

भूमिका : प्रत्येक स्वतंत्र राष्ट का अपना एक ध्वज होता है जो उस देश के स्वतंत्र देश होने का संकेत होता है। भारतीय राष्ट्रिय ध्वज को सभी लोग तिरंगा के नाम से जानते हैं जिसका मतलब होता है तीन रंग। यह केसरिया , सफेद और हरे रंग से बना होता है और इसके केंद्र में नीले रंग से बना हुआ अशोक चक्र होता है।

भारतीय राष्ट्रिय ध्वज की अभिकल्पना पिंगली वैकैयानंद ने की थी और इसे इसके वर्तमान स्वरूप में 22 जुलाई , 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया था। यह ध्वज देश के एकजुट अस्तित्व का प्रतीक होता है। यह 15 अगस्त , 1947 को अंग्रेजों से भारत की स्वतंत्रता के कुछ दिन पहले ही की गयी थी।

तिरंगे का विस्तार : तिरंगे में तीनों रंग समतालीय एक बराबर हिस्सों में बंटे होते हैं। सबसे उपर केसरिया रंग होता है जो साहस , निस्वार्थता व शक्ति का प्रतीक होता है। केसरिया रंग से नीचे सफेद रंग होता है जो सच्चाई , शांति और पवित्रता का प्रतीक होता है।

यह रंग देश में सुख-शांति की उपयोगिता को दर्शाता है। सफेद रंग से नीचे हरा रंग होता है जो विश्वास , शिष्टता , वृद्धि व हरी भूमि की उर्वरता का प्रतीक होता है। यह रंग समृद्धि व जीवन को दर्शाता है। तिरंगे की चौडाई व लम्बाई का अनुपात 2:3 होता है।

तिरंगे के बीच में सफेद रंग के उपर नीले रंग का अशोक चक्र बना होता है जिसमें 24 धारियां होती हैं। इसे धर्म चक्र और विधि चक्र भी कहा जाता है। नीले रंग का अशोक चक्र तीसरी शताब्दी में सम्राट अशोक द्वारा बनाया गया था इसे तिरंगे के बीच में लगाया गया था। यह चक्र जीवन के गतिशील होने को दर्शाता है। इसके न होने का अर्थ मृत्यु है।

भारतीय राष्ट्रिय ध्वज का इतिहास : राष्ट्रिय ध्वज स्वतंत्रता के लिए भारत की लम्बी लड़ाई व राष्ट्रिय खजाने का प्रतिनिधित्व करता है। तिरंगा स्वतंत्र भारत के गणतंत्र का प्रतीक होता है। देश के आजाद होने के कुछ दिन पहले 22 जुलाई , 1947 को स्वतंत्र भारत के संविधान को लेकर एक सभा आयोजित की गई थी जहाँ पर पहली बार सबके सामने राष्ट्रिय ध्वज तिरंगे को प्रस्तुत किया गया था।

इसके बाद 15 अगस्त , 1947 से लेकर 26 जनवरी , 1950 तक राष्ट्रिय ध्वज को भारत के अधिराज्य के रूप में प्रस्तुत किया गया था। सन् 1950 में संविधान लागू होने पर इसे स्वतंत्र गणतंत्र का राष्ट्रिय ध्वज घोषित किया गया था। राष्ट्रिय ध्वज को पिंगली वेंक्क्या द्वारा बनाया गया था।

राष्ट्रिय ध्वज से जुडी बातें : ब्यूरो ऑफ़ इंडियन स्टैंडर्ड ने ध्वज निर्माण के लिए मानक सेट किया था। उन्होंने उसके निर्माण से जुडी हर छोटी बड़ी बात जैसे- उसका कपड़ा , धागा , रंग उसका अनुपात सब कुछ नियम के अनुसार सेट किया यहाँ तक कि उसके फहराने से जुडी हुई बातें भी नियम में लिखी गई हैं।

यह एक राष्ट्रिय प्रतीक है जिसका सम्मान हर भारतीय करता है। राष्ट्रिय ध्वज के सम्मान से जुडी कुछ बातें आम आदमी को हमेशा याद रखनी चाहिए। जब राष्ट्रिय ध्वज को उपर उठाया जाए तो ध्यान रखें कि केसरिया रंग सबसे उपर हो। कोई भी ध्वज अथवा प्रतिक राष्ट्रिय ध्वज के उपर नहीं होना चाहिए।

अगर और अन्य ध्वज फहराए जा रहे हों तो वे हमेशा इसके बायीं ओर पंक्ति में फहराए जाने चाहिए। अगर कोई जुलुस या परेड निकल रही हो तो राष्ट्रिय ध्वज दाहिने ओर होना चाहिए या फिर बाकि सभी ध्वजों की पंक्ति में बीच में होना चाहिए।

राष्ट्रिय ध्वज हमेशा मुख्य सरकारी ईमारत व् संस्थान जैसे राष्ट्रपति भवन , संसद भवन , सुप्रीम कोर्ट , हाई कोर्ट आदि में फेहरा हुआ होना चाहिए। राष्ट्रिय ध्वज किसी भी पर्सनल व्यवसाय या काम के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता। राष्ट्रिय ध्वज शाम को सूर्यास्त के समय उतार देना चाहिए।

तिरंगे का विकास : हमारा राष्ट्रिय ध्वज अपने आरंभ में बहुत से परिवर्तनों से गुजरा है। इसे हमारे स्वतंत्रता के राष्ट्रिय संग्राम के दौरान खोजा गया था। भारतीय राष्ट्रिय ध्वज का विकास आज के इस रूप में पहुंचने के लिए अनेक दौरों से गुजरा है। पहला रष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त , 1906 को पारसी बागान चौक कलकत्ता में फहराया गया था जिसे अब कोलकाता कहा जाता है इस ध्वज को लाल , पीले और रंग की पट्टियों से बनाया गया था।

दूसरे ध्वज को पेरिस में मैडम कामा और 1907 में उनके साथ निर्वासित किये गये क्रांतिकारियों द्वारा फहराया गया था। यह भी पहले ध्वज की तरह था लेकिन इसमें उपर की पट्टी में एक कमल था किन्तु सात तारे सप्तऋषि को दर्शाते हैं। इस ध्वज को बर्लिन के समाजवादी सम्मेलन में भी प्रदर्शित किया गया था। तीसरा ध्वज 1917 में आया जब हमारे राजनैतिक संघर्ष ने एक निश्चित मोड़ लिया था।

डॉ एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक जी ने घरेलू शासन आन्दोलन के दौरान इसे फहराया था। इस ध्वज में 5 लाल और 4 हरी पट्टियाँ एक के बाद एक और सप्तऋषि के अभिविन्यास में इस पर बने सात सितारे थे। बायीं और उपरी किनारे पर यूनियन जैक था। एक कोने में सफेद अर्धचन्द्र और सितारा भी था।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के स्तर के दौरान इसको 1921 में बेजवाडा में किया गया यहाँ आंध्रप्रदेश के एक युवक ने एक झंडा बनाया और गाँधी जी को दिया। यह ध्वज दो रंगों से बना हुआ था। लाल और हरा रंग जो दो प्रमुख समुदायों अथार्त हिन्दू और मुस्लिम का प्रतिनिधित्व करता है। गाँधी जी ने सुझाव दिया कि भारत के शेष समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के लिए इसमें एक सफेद पट्टी और राष्ट्र की प्रगति का संकेत देने के लिए एक चलता हुआ चरखा होना चाहिए।

राष्ट्रिय ध्वज फहराने के नियम : हमें राष्ट्रिय ध्वज को फहराने के नियमों का सख्ती के साथ पालन करना चाहिए। कभी भी खराब या क्षतिग्रस्त ध्वज को फहराना नहीं चाहिए। ध्वज को कभी भी किसी भी सजावट के काम में नहीं लिया जाना चाहिए। तिरंगे का साईज हमेशा 3:2 के अनुपात में होना चाहिए।

ध्वज पर किसी भी प्रकार से कुछ लिखना या बनाना मना होता है। राष्ट्रिय शोक दिवस के अवसर पर ध्वज को आधा झुका हुआ होना चाहिए। किसी भी दुसरे झंडे को राष्ट्रिय झंडे से उपर या बराबर नहीं लगाना चाहिए। कोई भी भारत का नागरिक ध्वज को फहरा सकता है।

ध्वज को सिर्फ सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जाता है। जब विशेष अवसर होते हैं तो इन्हें रात को भी फहराया जाता है। ध्वज का पोल इमारत के सबसे ऊँचे हिस्से पर होना चाहिए। प्राईवेट इंस्टीटूशन्स सभी सामान्य दिन भी ध्वज को फहराया जा सकता है लेकिन पूरे सम्मान , कायदे व नियम के अनुसार।

ध्वज को कभी भी किसी गाड़ी , नाव या हवाई जहाज के पीछे नहीं लगाया जाना चाहिए। ध्वज का प्रयोग किसी भी सामान को या किसी इमारत को ढकने के लिए नहीं करना चाहिए। ध्वज हमेशा कॉटन , खादी या सिल्क का होना चाहिए। ध्वज को बनाने के लिए प्लास्टिक का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

उपसंहार : भारतीय राष्ट्रिय ध्वज भारत के नागरिकों की आशाएं और आकांक्षाएं दर्शाता है। यह हमारे राष्ट्रिय गर्व का प्रतीक होता है। पिछले 5 दशकों से अधिक समय से सशस्त्र सेना बलों के सदस्यों सहित अनेक नागरिकों ने तिरंगे की शान को बनाये रखने के लिए लगातार अपने जीवन न्यौछावर किये हैं। हमारी यह जिम्मेदारी होती है कि इसकी शान को जाने या अनजाने में किसी भी प्रकार की चोट न पहुंचाई जाए।

The post राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध-National Flag In Hindi appeared first on hindimeaning.com.


Viewing all articles
Browse latest Browse all 910

Trending Articles