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अव्यय की परिभाषा, भेद और उदाहरण

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अव्यय क्या होता है :-

अव्यय का शाब्दिक अर्थ होता है – जो व्यय न हो | जिनके रूप में लिंग , वचन , पुरुष , कारक , काल आदि की वजह से कोई परिवर्तन नहीं होता उसे अव्यय शब्द कहते हैं | अव्यय शब्द हर स्थिति में अपने मूल रूप में रहते हैं | इन शब्दों को अविकारी शब्द भी कहा जाता है |

जैसे :- जब , तब , अभी ,अगर , वह, वहाँ , यहाँ , इधर , उधर , किन्तु , परन्तु , बल्कि , इसलिए , अतएव , अवश्य , तेज , कल , धीरे , लेकिन , चूँकि , क्योंकि आदि |

अव्यय के भेद :-

1. क्रिया -विशेषण अव्यय
2. संबंधबोधक अव्यय
3. समुच्चयबोधक अव्यय
4. विस्मयादिबोधक अव्यय
5. निपात अव्यय

1. क्रिया -विशेषण अव्यय :- जिन शब्दों से क्रिया की विशेषता का पता चलता है उसे क्रिया -विशेषण कहते हैं |जहाँ पर यहाँ , तेज , अब , रात , धीरे-धीरे , प्रतिदिन , सुंदर , यहाँ , वहाँ , तक , जल्दी , अभी , बहुत आते हैं वहाँ पर क्रियाविशेषण अव्यय होता है |

जैसे :- (i) वह यहाँ से चला गया |
(ii) घोडा तेज दौड़ता है |
(iii) अब पढना बंद करो |
(iv) बच्चे धीरे-धीरे चल रहे थे |
(v) वे लोग रात को पहुँचे |
(vi) सुधा प्रतिदिन पढती है |
(vii) वह यहाँ आता है |
(viii) रमेश प्रतिदिन पढ़ता है |
(ix) सुमन सुंदर लिखती है |
(x) मैं बहुत ठक गया हूँ |

प्रयोग के आधार पर क्रिया -विशेषण अव्यय के भेद :-

1. साधारण क्रियाविशेषण अव्यय
2. संयोजक क्रियाविशेषण अव्यय
3. अनुबद्ध क्रियाविशेषण अव्यय

1. साधारण क्रियाविशेषण अव्यय :- जिन शब्दों का प्रयोग वाक्यों में स्वतंत्र रूप से किया जाता है उन्हें साधारण क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं |

जैसे :- (i) हाय! अब मैं क्या करूँ |
(ii) बेटा जल्दी जाओ !
(iii) अरे! वह सांप कहाँ गया ?

2. संयोजक क्रियाविशेषण अव्यय :- जिन शब्दों का संबंध किसी उपवाक्य के साथ होता है उन्हें संयोजक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं |

जैसे :- (i) जब अंकित ही नहीं तो मैं जी कर क्या करूंगी |
(ii) जहाँ पर अब जंगल है वहाँ पर कभी जंगल था |

3. अनुबद्ध क्रियाविशेषण अव्यय :- जिन शब्दों का प्रयोग निश्चय के लिए किसी भी शब्द भेद के साथ किया जाता है उन्हें अनुबद्ध क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं |

जैसे :- (i) मैंने उसे देखा तक नहीं |
(ii) आपके आने भर की देर है |

रूप के आधार पर क्रियाविशेषण अव्यय के भेद :-

1. मूल
2. यौगिक
3. स्थानीय

1. मूल :- जिन शब्दों में दूसरे शब्दों के मेल की जरूरत नहीं पडती उन्हें मूल क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं |

जैसे :- (i) अचानक से सांप आ गया |
(ii) मैं अभी नही आया |

2. यौगिक :- जो शब्द दूसरे शब्द में प्रत्यय या पद जोड़ने से बनते हैं उन्हें यौगिक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं |

जैसे :- (i) तुम रातभर में आ जाना |
(ii) वह चुपके से जा रहा था |

3. स्थानीय :- जो अन्य शब्द भेद जो बिना किसी परिवर्तन के विशेष स्थान पर आते हैं उन्हें स्थानीय क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं |

जैसे :- (i) वह अपना सिर पढ़ेगा |
(ii) तुम दौडकर चलते हो |

अर्थ क अनुसार क्रिया -विशेषण अव्यय के भेद :-

1. कालवाचक क्रियाविशेषण अव्यय
2. स्थानवाचक क्रियाविशेषण अव्यय
3. परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्यय
4. रीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्यय

1. कालवाचक क्रियाविशेषण अव्यय :- जिन अव्यय शब्दों से कार्य के व्यापार के होने का पता चले उसे कालवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं |

जहाँ पर आजकल , अभी , तुरंत , रातभर , दिन , भर , हर बार , कई बार , नित्य , कब , यदा , कदा , जब , तब , हमेशा , तभी , तत्काल , निरंतर , शीघ्र पूर्व , बाद , पीछे , घड़ी-घड़ी , अब , तत्पश्चात , तदनन्तर , कल , फिर , कभी , प्रतिदिन , दिनभर , आज , परसों , सायं , पहले , सदा , लगातार आदि आते है वहाँ पर कालवाचक क्रियाविशेषण अव्यय होता है |

जैसे :- (i) वह नित्य टहलता है |
(ii) वे कब गए |
(iii) सीता कल जाएगी |
(iv) वह प्रतिदिन पढ़ता है |
(v) दिन भर वर्षा होती है |
(vi) कृष्ण कल जायेगा |

2. स्थान क्रियाविशेषण अव्यय :- जिन अव्यय शब्दों से कार्य के व्यापार क होने के स्थान का पता चले उन्हें स्थानवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं |

जहाँ पर यहाँ , वहाँ , भीतर , बाहर , इधर , उधर , दाएँ , बाएँ , कहाँ , किधर , कहाँ , जहाँ , पास , दूर , अन्यत्र , इस ओर , उस ओर , ऊपर , नीचे , सामने , आगे , पीछे , आमने आते है वहाँ पर स्थानवाचक क्रियाविशेषण अव्यय होता है |

जैसे :- (i) मैं कहाँ जाऊं ?
(ii) तारा कहाँ अवम किधर गई ?
(iii) सुनील नीचे बैठा है |
(iv) इधर -उधर मत देखो |
(v) वह आगे चला गया |
(vi) उधर मत जाओ |

3. परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्यय :- जिन अव्यय शब्दों से कार्य के व्यापार के परिणाम का पता चलता है उसे परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं | जिन अव्यय शब्दों से नाप-तोल का पता चलता है |

जहाँ पर थोडा , काफी , ठीक , ठाक , बहुत , कम , अत्यंत , अतिशय , बहुधा , थोडा -थोडा , अधिक , अल्प , कुछ , पर्याप्त , प्रभूत , न्यून , बूंद-बूंद , स्वल्प , केवल , प्राय: , अनुमानत: , सर्वथा , उतना , जितना , खूब , तेज , अति , जरा , कितना , केवल , बड़ा , भारी , अत्यंत , लगभग , बस , इतना , क्रमश: आदि आत हैं वहाँ पर परिमाणवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं |

जैसे :- (i) मैं बहुत घबरा रहा हूँ |
(ii) वह अतिशय व्यथित होने पर भी मौन है |
(iii) उतना बोलो जितना जरूरी हो |
(iv) रमेश खूब पढ़ता है |
(v) तेज गाड़ी चल रही है |
(vi) सविता बहुत बोलती है |
(vii) कम खाओ |

4. रीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्यय :- जिन अव्यय शब्दों से कार्य के व्यापार की रीति या विधि का पता चलता है उन्हें रीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं |

जहाँ पर ऐसे , वैसे , अचानक , इसलिए , कदाचित , यथासंभव , सहज , धीरे , सहसा , एकाएक , झटपट , आप ही , ध्यानपूर्वक , धडाधड , यथा , ठीक , सचमुच , अवश्य , वास्तव में , निस्संदेह , बेशक , शायद , संभव है , हाँ , सच , जरुर , जी , अतएव , क्योंकि , नहीं , न , मत , कभी नहीं , कदापि नहीं , फटाफट , शीघ्रता , भली-भांति , ऐसे , तेज , कैसे , ज्यों , त्यों आदि आते हैं वहाँ पर रीतिवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं |

जैसे :- (i) जरा , सहज एवं धीरे चलिए |
(ii) हमारे सामने शेर अचानक आ गया |
(iii) कपिल ने अपना कार्य फटाफट कर दिया |
(iv) मोहन शीघ्रता से चला गया |
(v) वह पैदल चलता है |

2. संबंधबोधक अव्यय :- जिन अव्यय शब्दों के कारण संज्ञा के बाद आने पर दूसरे शब्दों से उसका संबंध बताते हैं उन शब्दों को संबंधबोधक शब्द कहते हैं |ये शब्द संज्ञा से पहले भी आ जाते हैं |

जहाँ पर बाद , भर , के ऊपर , की और , कारण , ऊपर , नीचे , बाहर , भीतर , बिना , सहित , पीछे , से पहले , से लेकर , तक , के अनुसार , की खातिर , के लिए आते हैं वहाँ पर संबंधबोधक अव्यय होता है |

जैसे :- (i) मैं विद्यालय तक गया |
(ii) स्कूल के समीप मैदान है |
(iii) धन के बिना व्यवसाय चलाना कठिन है |
(iv) सुशील के भरोसे यह काम बिगड़ गया |
(v) मैं पूजा से पहले स्नान करता हूँ |
(vi) मैंने घर के सामने कुछ पेड़ लगाये हैं |
(vii) उसका साथ छोड़ दीजिये |
(viii) छत पर कबूतर बैठा है |
(ix) राम भोजन के बाद जायेगा |
(x) मोहन दिन भर खेलता है |
(xi) छत के ऊपर राम खड़ा है |
(xii) रमेश घर के बाहर पुस्तक रख रहा था |
(xiii) पाठशाला के पास मेरा घर है |
(xiv) विद्या के बिना मनुष्य पशु है |

प्रयोग की पुष्टि से संबंधबोधक अव्यय के भेद :-
1. सविभक्तिक
2. निर्विभक्तिक
3. उभय विभक्ति

1. सविभक्तिक :- जो अव्यय शब्द विभक्ति के साथ संज्ञा या सर्वनाम के बाद लगते हैं उन्हें सविभक्तिक कहते हैं |जहाँ पर आगे , पीछे , समीप , दूर , ओर , पहले आते हैं वहाँ पर सविभक्तिक होता है |

जैसे :- (i) घर के आगे स्कूल है |
(ii) उत्तर की ओर पर्वत हैं |
(iii) लक्ष्मण ने पहले किसी से युद्ध नहीं किया था |

2. निर्विभक्तिक :- जो शब्द विभक्ति के बिना संज्ञा के बाद प्रयोग होते हैं उन्हें निर्विभक्तिक कहते हैं |जहाँ पर भर , तक , समेत , पर्यन्त आते हैं वहाँ पर निर्विभक्तिक होता है |

जैसे :- (i) वह रात तक लौट आया |
(ii) वह जीवन पर्यन्त ब्रह्मचारी रहा |
(iii) वह बाल बच्चों समेत यहाँ आया |

3. उभय विभक्ति :- जो अव्यय शब्द विभक्ति रहित और विभक्ति सहित दोनों प्रकार से आते हैं उन्हें उभय विभक्ति कहते हैं |जहाँ पर द्वारा , रहित , बिना , अनुसार आते हैं वहाँ पर उभय विभक्ति होता है |

जैसे :- (i) पत्रों के द्वारा संदेश भेजे जाते हैं |
(ii) रीति के अनुसार काम होना है |

3. समुच्चयबोधक अव्यय :- जो शब्द दो शब्दों , वाक्यों और वाक्यांशों को जोड़ते हैं उन्हें समुच्चयबोधक अव्यय कहते हैं |इन्हें योजक भी कहा जाता है |ये शब्द दो वाक्यों को परस्पर जोड़ते हैं |

जहाँ पर और , तथा , लेकिन , मगर , व , किन्तु , परन्तु , इसलिए , इस कारण , अत: , क्योंकि , ताकि , या , अथवा , चाहे , यदि , कि , मानो , आदि , यानि , तथापि आते हैं वहाँ पर समुच्चयबोधक अव्यय होता है |

जैसे :- (i) सूरज निकला और पक्षी बोलने लगे |
(ii) छुट्टी हुई और बच्चे भागने लगे |
(iii) किरन और मधु पढने चली गईं |
(iv) मंजुला पढने में तो तेज है परन्तु शरीर से कमजोर है |
(v) तुम जाओगे की मैं जाऊं |
(vi) माता जी और पिताजी |
(vii) मैं पटना आना चाहता था लेकिन आ न सका |
(viii) तुम जाओगे या वह आयेगा |
(ix) सुनील निकम्मा है इसलिए सब उससे घर्णा करते हैं |
(x) गीता गाती है और मीरा नाचती है |
(xi) यदि तुम मेहनत करते तो अवश्य सफल होगे |
(xii) मोहन पढ़ता है और सोहन लिखता है |

समुच्चयबोधक अव्यय के भेद :-

1. समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय
2. व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय

1. समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय :- जिन शब्दों से समान अधिकार के अंशों के जुड़ने का पता चलता है उन्हें समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय कहते हैं |

जहाँ पर किन्तु , और , या , अथवा , तथा , परन्तु , व , लेकिन , इसलिए , अत: , एवं आते है वहाँ पर समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय होता है |

जैसे :- (i) कविता और गीता एक कक्षा में पढ़ते हैं |
(ii) मैं और मेरी पुत्री एवं मेरे साथी सभी साथ थे |

2. व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय :- जिन अव्यय शब्दों में एक शब्द को मुख्य माना जाता है और एक को गौण | गौण वाक्य मुख्य वाक्य को एक या अधिक उपवाक्यों को जोड़ने का काम करता है |जहाँ पर चूँकि , इसलिए , यद्यपि , तथापि , कि , मानो , क्योंकि , यहाँ , तक कि , जिससे कि , ताकि , यदि , तो , यानि आते हैं वहाँ पर व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय होता है |

जैसे :- (i) मोहन बीमार है इसलिए वह आज नहीं आएगा |
(ii) यदि तुम अपनी भलाई चाहते हो तो यहाँ से चले जाओ |
(iii) मैंने दिन में ही अपना काम पूरा कर लिया ताकि मैं शाम को जागरण में जा सकूं |

4. विस्मयादिबोधक अव्यय :- जिन अव्यय शब्दों से हर्ष , शोक , विस्मय , ग्लानी , लज्जा , घर्णा , दुःख , आश्चर्य आदि के भाव का पता चलता है उन्हें विस्मयादिबोधक अव्यय कहते हैं | इनका संबंध किसी पद से नहीं होता है |इसे घोतक भी कहा जाता है |विस्मयादिबोधक अव्यय में (!) चिन्ह लगाया जाता है |

जैसे :- (i) वाह! क्या बात है |
(ii) हाय! वह चल बसा |
(iii) आह! क्या स्वाद है |
(iv) अरे! तुम यहाँ कैसे |
(v) छि:छि:! यह गंदगी |
(vi) वाह! वाह! तुमने तो कमाल कर दिया |
(vii) अहो! क्या बात है |
(viii) अहा! क्या मौसम हैं |
(ix) अरे! आप आ गये |
(x) हाय! अब मैं क्या करूँ |
(xi) अरे! पीछे हो जाओ , गिर जाओगे |
(xii) हाय! राम यह क्या हो गया |

भाव के आधार पर विस्मयादिबोधक अव्यय के भेद :-
(1) हर्षबोधक
(2) शोकबोधक
(3) विस्मयादिबोधक
(4) तिरस्कारबोधक
(5) स्वीकृतिबोधक
(6) संबोधनबोधक
(7) आशिर्वादबोधक

(1) हर्षबोधक :- जहाँ पर अहा! , धन्य! , वाह-वाह! , ओह! , वाह! , शाबाश! आते हैं वहाँ पर हर्षबोधक होता है |

(2) शोकबोधक :- जहाँ पर आह! , हाय! , हाय-हाय! , हा, त्राहि-त्राहि! , बाप रे! आते हैं वहाँ पर शोकबोधक आता है |

(3) विस्मयादिबोधक :- जहाँ पर हैं! , ऐं! , ओहो! , अरे वाह! आते हैं वहाँ पर विस्मयादिबोधक होता है |

(4) तिरस्कारबोधक :- जहाँ पर छि:! , हट! , धिक्! , धत! , छि:छि:! , चुप! आते हैं वहाँ पर तिरस्कारबोधक होता है |

(5) स्वीकृतिबोधक :- जहाँ पर हाँ-हाँ! , अच्छा! , ठीक! , जी हाँ! , बहुत अच्छा! आते हैं वहाँ पर स्वीकृतिबोधक होता है |

(6) संबोधनबोधक :- जहाँ पर रे! , री! , अरे! , अरी! , ओ! , अजी! , हैलो! आते हैं वहाँ पर संबोधनबोधक होता है |

(7) आशीर्वादबोधक :- जहाँ पर दीर्घायु हो! , जीते रहो! आते हैं वहाँ पर आशिर्वादबोधक होता है |

5. निपात अव्यय :- जो वाक्य में नवीनता या चमत्कार उत्पन्न करते हैं उन्हें निपात अव्यय कहते हैं | जो अव्यय शब्द किसी शब्द या पद के पीछे लगकर उसके अर्थ में विशेष बल लाते हैं उन्हें निपात अव्यय कहते हैं |इसे अवधारक शब्द भी कहते हैं |जहाँ पर ही , भी , तो , तक ,मात्र , भर , मत , सा , जी , केवल आते हैं वहाँ पर निपात अव्यय होता है |

जैसे :- (i) प्रशांत को ही करना होगा यह काम |
(ii) सुहाना भी जाएगी |
(iii) तुम तो सनम डूबोगे ही , सब को डुबाओगे |
(iv) वह तुमसे बोली तक नहीं |
(v) पढाई मात्र से ही सब कुछ नहीं मिल जाता |
(vi) तुम उसे जानता भर हो |
(vii) राम ने ही रावण को मारा था |
(viii) रमेश भी दिल्ली जाएगा |
(ix) तुम तो कल जयपुर जाने वाले थे |
(x) राम ही लिख रहा है |

क्रिया -विशेषण और संबंधबोधक अव्यय में अंतर :-

जब अव्यय शब्दों का प्रयोग संज्ञा या सर्वनाम के साथ किया जाता है तब ये संबंधबोधक होते हैं और जब अव्यय शब्द क्रिया की विशेषता प्रकट करते हैं तब ये क्रिया -विशेषण होते हैं |

जैसे :- (i) बाहर जाओ |
(ii) घर से बाहर जाओ |
(iii) उनके सामने बैठो |
(iv) मोहन भीतर है |
(v) घर के भीतर सुरेश है |
(vi) बाहर चले जाओ |

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