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प्रातःकाल का भ्रमण पर निबंध-Paragraph On Morning Walk In Hindi

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प्रातःकाल का भ्रमण पर निबंध :

व्यक्ति को सबसे पहले अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा करनी चाहिए क्योंकि व्यक्ति के बहुत से कर्त्तव्य होते हैं | इन कर्त्तव्यों को बिना अच्छे स्वास्थ्य के पूरा नहीं किया जा सकता है | स्वास्थ्य की रक्षा के अनेक साधन होते हैं | प्रातःकाल के भ्रमण का इन साधनों में बहुत महत्व है |

प्रातःकाल का दृश्य दिन के सभी दृश्य के मुकाबले में अधिक मनोहर और मन मोह लेने वाला होता है | रात के बाद जब उषा की मधुर मुसकान उत्पन्न होती है वो हमारे ह्रदय को जीत लेने वाली मुसकान होती है | धरती के कण-कण में नया उल्लास और उमंग छा जाती है | ऐसे समय में भ्रमण करना बहुत ही लाभकारी होता है |

प्रकृति का सर्वश्रेष्ठ समय :-

प्रकृति प्रातःकाल सभी जीवों को स्वास्थ्य का वरदान देती है | अलग-अलग ऋतुओं की सुगंध वाली वायु भी उसी समय चलना शुरू होती है | चारों ओर आनन्द छाया होता है | खुसबू से भरे खिलखिलाने वाले फूल बहुत ही मोहक लगते हैं | जो फूल बेलों से झड़ते हैं उन्हें देखकर ऐसा लगता है जैसे वे धरती का श्रृंगार कर रहे हों |

चारों ओर हरियाली को देखकर मन मस्ती से भर जाता है | पक्षियों का चहचहाना मन को बहुत ही प्रसन्नता देता है | प्रातःकाल का सूर्य और अस्त होता हुआ सूर्य ऐसा लगता है जैसे भगवान की दो आँखें आँख-मिचोली खेल रही हो | जो मनुष्य ऐसे समय में भ्रमण करता है उसका स्वास्थ्य ही नहीं अपितु उसकी आयु भी दीर्घ होती है |

लाभ :-

प्रातःकाल का भ्रमण करने से मनुष्य के शरीर में फुर्ती के साथ-साथ नए जीवन का भी संचार होता है | हमारा मन अनेक प्रकार की खुशियों से भर जाता है | पुरे दिन काम करने से भी व्यक्ति थकता नहीं है | पूरे दिन मुंह पर तेज सा छाया रहता है | साफ हवा से रक्त भी साफ होता है | फेफड़ों को भी बल मिलता है |

जब बूंदों से सजी घास पर नंगे पैरों से चलते हैं तो दिमाग के सभी रोग ठीक हो जाते हैं | मनुष्य के शरीर में बुद्धि , तेज और यश की वृद्धि होती है | मनुष्य में परिश्रम और साहस की शक्ति आ जाती है | व्यक्ति के दो शत्रु होते हैं – आलस्य और काम | जो लोग प्रातःकाल का भ्रमण करते हैं उन लोगों के पास ये दोनों फटकते भी नहीं हैं |

हानियाँ :-

आजकल सभी लोग बैठकर काम करते हैं | सभी लोग सुबह से लेकर शाम तक बैठकर ही काम करते हैं | मनुष्य शरीर से परिश्रम बिलकुल भी नहीं करता है | शरीर के जिस भाग से काम नहीं किया जाता है वो नाकारा हो जाता है |

जब मनुष्य प्रातःकाल का भ्रमण करता है तो उसके शरीर का हर भाग हरकत करने लगता है | जो लोग बुद्धिजीवी होते हैं उनके चहरे पीले और शरीर क्षीण दिखता है | व्यापारी , विद्यार्थी , अध्यापक , दफ्तर के क्लर्क ये सभी बुद्धिजीवी होते हैं | इसी कारण आजकल प्रातःकाल का भ्रमण जरूरी होता है |

आवश्यकता :-

जो मनुष्य आज सभ्य और शिक्षित कहलाता है वो बिस्तर से तब उठता है जब धूप आधे आकाश में आ जाती है | वह चाय भी बिस्तर पर ही पीता है | इन सब का परिणाम उसके स्वास्थ्य पर पड़ता है वह चिडचिडा हो जाता है और उसके निर्णय करने की शक्ति क्षीण हो जाती है | लेकिन जो लोग प्रातःकाल का भ्रमण करते हैं वे स्वस्थ और हँसते हुए दिन को बिताते हैं |

उपसंहार :-

प्रातःकाल के भ्रमण न करने से हमारे स्वास्थ्य को बहुत बड़ा नुकसान होता है लेकिन प्रातःकाल का भ्रमण करने से हमें स्वस्थ रहने का वरदान मिलता है |हमें प्रातःकाल के भ्रमण की आदत डाल लेनी चाहिए यह हमारे शरीर के लिए बहुत ही लाभकारी होती है |

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